अगर आप हर महीने बैंक के ATM से पैसे निकालते हैं, तो ये खबर आपके लिए बहुत ज़रूरी है। 1 मई 2025 से भारत में बैंकिंग से जुड़े कुछ बड़े बदलाव लागू होने जा रहे हैं। ये बदलाव खास तौर पर ATM withdrawal charges और cash transaction tax से जुड़े हुए हैं।
अब से हर बार ATM से पैसे निकालना पहले जैसा सस्ता नहीं रहेगा। RBI ने बैंकों को यह छूट दी है कि वो फ्री ट्रांजैक्शन की सीमा के बाद ग्राहक से न सिर्फ ज़्यादा चार्ज लें, बल्कि उस पर टैक्स भी वसूलें।
इस लेख में हम बहुत आसान भाषा में समझेंगे कि नए नियम क्या हैं, ये हम जैसे आम लोगों की जेब पर क्या असर डालेंगे और इनसे कैसे बचा जा सकता है।
1 मई से क्या-क्या बदलने वाला है?
अब तक सभी बैंकों में यह नियम था कि आप एक महीने में 3 से 5 बार तक फ्री में ATM से पैसे निकाल सकते हैं। यह संख्या शहर और बैंक के हिसाब से अलग-अलग होती थी। लेकिन अब, RBI new rules 2025 के अनुसार, फ्री ट्रांजैक्शन की सीमा के बाद जो चार्ज लगेगा, उस पर टैक्स भी जोड़ा जाएगा।
यानी अगर आप तय सीमा से ज्यादा बार पैसे निकालते हैं तो:
हर बार ₹21 का सर्विस चार्ज लगेगा।
साथ ही उस पर 18% GST टैक्स यानी ₹3.78 और जुड़ जाएगा।
मतलब कुल ₹24.78 एक ट्रांजैक्शन पर देना पड़ेगा।
सोचिए अगर आप महीने में 4 या 5 बार फ्री लिमिट के बाद पैसे निकालते हैं, तो ₹100 से भी ज़्यादा का खर्च सिर्फ चार्ज और टैक्स में हो सकता है।
Bank Balance Check पर भी चार्ज
नया नियम सिर्फ पैसे निकालने पर ही नहीं, बल्कि bank balance check charges पर भी लागू होगा। बहुत से लोग हर दूसरे दिन अपना बैलेंस SMS या ATM के ज़रिए चेक करते हैं।
अब यह भी सस्ता नहीं रहेगा:
SMS से बैलेंस चेक करने पर ₹2 चार्ज लगेगा।
ATM से बैलेंस देखने की लिमिट के बाद ₹8 से ₹10 तक का चार्ज लग सकता है।
इसलिए अब सोच-समझकर ही बैलेंस चेक करना होगा।
RBI ने ऐसा क्यों किया?
RBI का कहना है कि हर बार ATM से पैसे निकालना या SMS से जानकारी लेना बैंक के लिए खर्च का काम है। ATM को चलाना, उसमें कैश भरवाना, उसकी सुरक्षा करना – इन सबमें काफी पैसा खर्च होता है।
इसीलिए RBI चाहती है कि लोग अब digital banking की तरफ बढ़ें। आज के समय में जब हर किसी के पास स्मार्टफोन है, तब मोबाइल ऐप, UPI और नेट बैंकिंग का इस्तेमाल ज़्यादा किया जाना चाहिए।
सबसे ज़्यादा असर किन पर होगा?
इस नए नियम का असर हर उस इंसान पर पड़ेगा जो हर महीने कैश निकालता है। लेकिन कुछ लोगों को यह बदलाव खासतौर पर ज़्यादा तकलीफ देगा:
बुजुर्ग जो अभी भी ATM या SMS से ही बैंकिंग करते हैं।
छोटे कस्बों और गांवों में रहने वाले लोग जहां डिजिटल पेमेंट बहुत कम होता है।
मजदूर वर्ग और नौकरीपेशा लोग जिन्हें बार-बार कैश की ज़रूरत पड़ती है।
वे लोग जो हर बार थोड़ी-थोड़ी रकम निकालते हैं।
इन लोगों को अब सोच-समझकर पैसे निकालने होंगे ताकि बार-बार चार्ज ना लगे।
इस खर्च से कैसे बचें?
अब हम आपको बताते हैं कुछ आसान तरीके जिनसे आप इस नए चार्ज और टैक्स से बच सकते हैं। ये तरीके कोई मुश्किल नहीं हैं और आम आदमी भी इन्हें आसानी से अपनाकर पैसा बचा सकता है।
1. UPI और मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करें
आजकल हर बैंक का मोबाइल ऐप होता है। Google Pay, PhonePe और Paytm जैसे ऐप से पेमेंट करना बिल्कुल फ्री है। इसमें न कोई चार्ज लगता है और न ही कोई टैक्स।
2. एक बार में ज़्यादा कैश निकालें
अगर आपको पता है कि महीने में ₹5,000 तक की ज़रूरत पड़ेगी, तो एक ही बार में निकाल लें। बार-बार कम-कम निकालने से फालतू चार्ज बढ़ते हैं।
3. SMS और ATM से बैलेंस चेक करने की आदत बदलें
अगर आप मोबाइल ऐप से बैलेंस देखेंगे, तो कोई चार्ज नहीं लगेगा। SMS और ATM से बार-बार बैलेंस देखना अब नुकसानदायक हो सकता है।
4. नेट बैंकिंग का सहारा लें
नेट बैंकिंग से आप न केवल ट्रांजैक्शन कर सकते हैं, बल्कि बैलेंस भी देख सकते हैं, वह भी बिल्कुल मुफ्त में। इसमें न कोई टाइम लगता है, न ही कोई चार्ज।
लोग क्या कह रहे हैं?
सोशल मीडिया पर इस नियम को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग कह रहे हैं कि यह बदलाव ज़रूरी था ताकि लोग डिजिटल पेमेंट की आदत डालें। वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि सरकार को पहले सभी जगह इंटरनेट और स्मार्टफोन की सुविधा देनी चाहिए, उसके बाद ऐसे नियम लाने चाहिए।
लोगों की राय चाहे जो भी हो, लेकिन अब यह ज़रूरी है कि हम खुद को इस बदलाव के लिए तैयार करें और अपनी बचत को समझदारी से करें।